नई RCOM होगी भारत की सबसे बड़ी B2B कंपनी, अनिल अंबानी ने किया दावा

नई रिलायंस कम्युनिकेशंस (RCOM) का कैपिटल एक्सपेंडिचर कम होगा और यह भारत की सबसे बड़ी B2B कंपनी बनकर उभरेगी।
नई दिल्ली. नई रिलायंस कम्युनिकेशंस (RCOM) का कैपिटल एक्सपेंडिचर कम होगा और यह भारत की सबसे बड़ी B2B (बिजनेस टू बिजनेस) कंपनी बनकर उभरेगी। नई RCOM का फोकस ग्लोबल और एंटरप्राइज बिजनेस पर है। यह बात रिलायंस ग्रुप के चेयरमैन अनिल अंबानी ने एक इंटरव्यू के दौरान कही। उन्होंने यह भी कहा कि RCOM को अगले कुछ महीनों में एक मजबूत स्ट्रेटेजिक पार्टनर मिलेगा। अंबानी ने यह भी कहा कि कंपनी का आईडीसी (इंटरनेशल डाटा सेंटर्स) बिजनेस धूम मचाने को तैयार है और इसमें बड़ा अवसर है।
टेलीकॉम नहीं, मोबाइल बिजनेस से निकल रहा हूं बाहर
टेलीकॉम बिजनेस को लेकर अंबानी ने कहा कि मैंने डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशंस को कहा था कि मैं टेलीकॉम नहीं छोड़ रहा हूं, बल्कि मोबाइल बिजनेस से बाहर निकल रहा हूं। बता दें कि रिलायंस टेलीकॉम के साथ-साथ क्लाउड, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, डाटा सेंटर्स, सबमरीन केबल्स आदि क्षेत्रों में भी काम कर रही है। पिछले माह RCOM अपने कर्ज को 25,000 करोड़ रुपए कम करके 6,000 करोड़ पर ले आई। इसके लिए कंपनी ने अपने असेट्स की बिक्री की थी।
जियो को वायरलेस असेट्स बेच रही है RCOM
RCOM ने अपने वायरलेस असेट्स- टावर, ऑप्टिक फाइबर केबल नेटवर्क, स्पेक्ट्रम और मीडिया कनवर्जेंस नोड्स को रिलायंस जियो को बेचने का फैसला किया है। इसके लिए कंपनी जियो के साथ डेफिनिटिव एग्रीमेंट कर चुकी है। अपने बिजनेसेज के भविष्य को लेकर अंबानी ने कहा कि हमारे अन्य बिजनेस अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं।
2015-16 में इंडस्ट्री में आई सुनामी से शुरू हुआ कंसोलिडेशन
मोबाइल बिजनेस पर अनिल अंबानी ने कहा कि उन्होंने मोबाइल इंडस्ट्री में 2015-16 में आई सुनामी और उससे लगे झटके को देखा है। उसी सुनामी ने सेक्टर में कंसोलिडेशन की प्रक्रिया की शुरुआत की। मजबूत कंपनियां और मजबूत हो रही थीं और कमजोर कंपनियां और कमजोर होती जा रही थीं। उस वक्त RCOM के पास विकल्प यह था कि या तो वह खुद किसी कंपनी में समाहित हो जाए या फिर अन्य छोटी कंपनियों को समाहित कर ले।
अंबानी ने आगे कहा कि हमने भारती एयरटेल, वोडाफोन दोनों दिग्गज कंपनियों से बात की थी। हमने टाटा से भी बात की। दूसरी तरफ एक कंसोलिडेटर (समाहित करने वाली कंपनी) के तौर पर हमने सिस्टेमा श्याम टेलीसर्विसेज लिमिटेड (SSTL), टेलीनॉर और एयरसेल जैसी ऐसी कंपनियों से बात की, जिन्हें हम प्रभावी तौर पर खरीद सकते थे।
अगले 5 सालों में 6.34 लाख करोड़ रु. खर्च करेगी इंडस्ट्री
अंबानी ने आगे कहा कि टेलीकॉम इंडस्ट्री के बारे में हमारा अनुमान है कि यह सेक्टर अगले 5 सालों में टेक्नोलॉजी को साथ लेकर आगे बढ़ने और कंज्यूमर की बदलती डिमांड को पूरा करने के लिए 6.34 लाख करोड़ रुपए खर्च करेगा। उन्होंने यह भी बताया कि इंडस्ट्री पर 9 लाख करोड़ रुपए का कर्ज है। इसमें से 2 लाख करोड़ रुपए विदेशी कर्ज, 2 लाख करोड़ रुपए बैंक गारंटी और 5 लाख करोड़ रुपए का डॉमेस्टिक कर्ज है। उन्होंने आगे आने वाले समय को मोबाइल बिजनेस के लिए अत्यंत कठिन बताया।