पोस्ट शॉपी बन गया है डाक विभाग, एक छत के नीचे उपलब्ध है जरूरत का सारा सामान

चन्द्रशेखर, पटना। कभी कालिदास ने बादल द्वारा संदेश भेजने की कल्पना कर मेघदूत की रचना की थी, जिसे इंटरनेट के माध्यम से आज सार्थक किया जा रहा है। पोस्टकार्ड से शुरू डाक विभाग अब पूरी तरह से कंप्यूटरीकृत हो चुका है। अब डाकघर पोस्ट ऑफिस नहीं बल्कि पोस्ट शॉपी का रूप ले चुका है जहां आम आदमी की जरूरत का हर सामान उपलब्ध होगा। पोस्टमास्टर जनरल अनिल कुमार ने विशेष बातचीत के दौरान डाक विभाग के बदलते स्वरूप की चर्चा की।
उन्होंने कहा कि डाकघर को इतना विस्तारित किया जाएगा कि एक दिन यह शॉपिंग मॉल का विकल्प हो सकेगा। विश्व का सबसे बड़ा बैंकिंग नेटवर्क वाला डाक विभाग अब कोर बैंकिंग के माध्यम से चंद सेकेंड में विश्व के किसी भी कोने में बड़ी से बड़ी राशि को पहुंचा देता है।
डाकघर में फ्रॉड रोकने की क्या व्यवस्था है?
आम बैंक जहां 90 फीसद शहरी क्षेत्रों में और 10 फीसद ग्रामीण क्षेत्रों में है वहीं डाकघर 20 फीसद शहरी क्षेत्रों में तथा 80 फीसद ग्रामीण क्षेत्रों में है। बिहार के हर तीसरे व्यक्ति का खाता डाकघर में है। डाकघर आज के दिन में सबसे आधुनिक सॉफ्टवेयर फिनाकल 10 पर काम कर रही है जो पूरी तरह सुरक्षित है। डाकघर में साइबर ऑडिट, साइबर विजिलेंस, ऑनलाइन कंप्लेन से लेकर मेल से व टॉल फ्री नंबर 180026668 पर शिकायत कर सकते हैं। दूरदराज के गांवों के किसी भी पोस्टऑफिस से मोटी राशि का भुगतान होता है तो मुख्यालय को तत्काल पता चल जाता है।
गूगल व फेसबुक से कितना प्रभावित है डाकघर ?
गूगल व फेसबुक डाटा का ही खेल खेल रहा है। डाटा संग्रह करने में डाक विभाग से अधिक सक्षम कोई नहीं हो सकता है। पूरे देश के 1.60 लाख डाकघरों के 2.5 लाख डाकिया हर घर तक पहुंच रखते हैं। किसी तरह का डाटा संग्रह आसानी से संभव है। भविष्य में डाक विभाग भी स्नैपडील व अन्य ई कॉमर्स कंपनियों के साथ-साथ जोमैटो की तर्ज पर भी सेवा प्रदान कर सकता है। डाक विभाग से मैट्रिमोनियल सेटलमेंट तक आसानी से संभव है।
बीमा के क्षेत्र में डाक विभाग क्या सुविधाएं दे रहा है?
यह सबसे कम प्रीमियम और सबसे अधिक बोनस देने वाली देश की एक मात्र सरकारी कंपनी है। डाक विभाग की ग्रामीण डाक बीमा योजना सबसे अधिक लोकप्रिय है। शहरों में भी बीमा के क्षेत्र में काफी काम हुआ है।
डाक विभाग में बदलाव की आवश्यकता क्यों महसूस की गई?
वर्ष 2000 के बाद से हर क्षेत्र में तकनीकी बदलाव हुआ है। मांग के अनुरूप डाक विभाग ने भी अपने में व्यापक बदलाव किया है। कभी लिफाफा और पोस्टकार्ड पहुंचाने वाले पोस्टमैन अब गांव के गरीब लोगों को मोबाइल बैंकिंग की सुविधा दे रहे हैं। ई कॉमर्स पर पूरी दुनिया निर्भर है। ऐसे में डाक विभाग में भी व्यापक बदलाव किए गए। आधुनिक तकनीक अपनाकर ई कॉमर्स व ई पार्सल के क्षेत्र में बेहतर सेवा दी जा रही है। क्यूआर कोड से भुगतान करने वाली पहली संस्था डाक विभाग ही है।
डाकविभाग में क्या बदलाव देखने को मिल रहा है?
मैं 1993 में डाक सेवा में आया था। प्रशिक्षण लेने के बाद 1995 में बिहार से ही अपनी सेवा शुरू की थी। उस वक्त पोस्टकार्ड, लिफाफा और किसान विकास पत्र के लिए ही डाक विभाग जाना जाता था। अब डाकघर पोस्ट शॉपी बन गया है जहां आम आदमी की जरूरत का अधिकांश सामान उपलब्ध है। खासकर बीमा, बैंकिंग व अन्य सेवाओं में यह विश्व में अहम स्थान रखने लगा है। डाक विभाग पूरी तरह से कंप्यूटरीकृत हो चुका है। एक क्लिक पर लाखों रुपये विदेशों से मंगवाए जा सकते हैं।
डाकघर से कौन-कौन सा सामान बिक रहा है?
डाकघर अब केवल वित्तीय लेन-देन तक ही सीमित नहीं रहा। यहां से अब एलईडी बल्ब, एलईडी पंखे, एलईडी ट्यूब, हरिद्वार व गंगोत्री का गंगा जल, तिरुपति का प्रसाद, मसाला के साथ-साथ अन्य सामानों की बिक्री भी की जा रही है।